गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।


गोपियाँ अपने तर्क में कई और भी बातें शामिल कर सकती थीं। वे कह सकती थीं कि यदि योग इतना ही महत्वपूर्ण था तो श्रीकृष्ण ने उनसे पहले प्रेम ही क्यों किया था? क्या मथुरा जाने के बाद योग इतना महत्वपूर्ण हो गया या फिर उन्हें भूलने के लिए योग का सहारा लिया जा रहा है। यदि ऐसा ज्ञात होता कि कृष्ण का प्रेम नाटकीय है तो हम अपना मन समर्पित कर आज इतने व्यथित क्यों होते? हम भी श्री कृष्ण की तरह अपना हृदय कठोर बना लेते।

गोपियाँ यह भी कह सकती थी कि, उद्धव के साथ रहते-रहते ज्ञान की बाते सुनते-सुनते कृष्ण भी कुछ ज्यादा ज्ञानी बन गए। जो हर बात में ज्ञान देने लगे और प्रेम की तुलना में उन्हें योग ज्यादा अच्छा लगने लगा। कृष्ण पहले प्रेम के बदले प्रेम देते थे लेकिन अब प्रेम के बदले ज्ञान और योग क्यों?


गोपियाँ उद्धव से कहती है कि हमारे पास एक ही मन था और उसे हमने उसे कृष्ण को समर्पित कर दिया है। अब हम किसी और के बारें में सोच ही नहीं सकते फिर चाहे वो योग-साधना ही क्यों ना हो। हे उद्धव! हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम प्रेम को छोड़कर योग को अपनाएँ। आप परम ज्ञानी हो सकते हैं लेकिन हम लोग तो भोले-भाले है और अपना सब कुछ कृष्ण को समर्पित कर चुके हैं। इसलिए आपकी ये बाते हमे बिलकुल भी अच्छी नहीं लग रही।


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